Uttarakhand Forest Fire: जंगल की आग का कहर जारी , अब तक पांच लोगों ने गंवाई जान

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विकराल हो रही वनाग्नि धधक रहे जंगल

देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में आज का कहर जारी है। प्रदेश में जंगल धधक रहे हैं वहीं जंगल की आग दिन पर दिन विकराल रूप लेती जा रही है। जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक भी पहुंच रही है। जंगल की की आग से झुलस कर मरने वालों का आंकड़ा अब पांच हो गया है। अल्मोड़ा के सोमेश्वर में झुलसी चौथी श्रमिक की भी मौत हो गई है।

नहीं थम रहा प्रदेश में आग का तांडव
प्रदेश में जंगलों में आग लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल के जंगल धधक रहे हैं। कुमाऊं में जंगल की आग की ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं। अब तक प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं में एक हजार हेक्टेर से भी ज्यादा जंगल राख हो गए हैं। इसके साथ ही आग के कारण तीन घर भी जल गए हैं।

जंगल की आग से अब तक पांच की मौत
उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है। बीते गुरूवार को अल्मोड़ा के सोमेश्वर के स्यूनराकोट के जंगलों में लगी आग की चपेट में आने से एक नेपाली मजदूर की मौत हो गई थी। जबकि तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायल तीन मजदूरों में से दो मजदूरों ने भी बीते शुक्रवार को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। जबकि एक महिला श्रमिक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। लेकिन शनिवार को महिला श्रमिक ने भी दम तोड़ दिया। इसके साथ ही रविवार को पौड़ी में बुजुर्ग महिला की मौत के बाद जंगल की आग से मरने वालों का आंकड़ा पांच हो गया है।
इस सीजन में जंगल की आग की 886 घटनाएं आई सामने

उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों में इन दिनों जंगल धधक रहे हैं। इस फायर सीजन में अब तक कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक 886 आग की घटनाएं सामने आई हैं। आग की घटनाओं में अब तक 1107 हेक्टेयर से ज्यादा वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। अब तक जंगल में आग लगाने के मामले में 350 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए अहम निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव को दूरभाष पर निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर मॉनिटरिंग करने के निर्देश तत्काल जारी किए जाएं ।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जिलाधिकारियों को सभी प्रकार के चारे (Stubble Burning ) को जलाने पर तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शहरी निकायों को भी अपने ठोस कूड़े ( Solid Waste ) को वन या वनों के आसपास जलने पर प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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